उषा प्रियवंदा, कृष्णा सोबती के उपन्यासों में आधुनिक नारी का संघर्ष | Original Article
भारत में विविध समस्याओं और कुप्रथाओं ने नारी-जाति को बड़ी हीनावस्था में पहुँचा दिया है। पर्दा प्रथा के कारण नारी घर में बन्दिनी बना दी गई। दहेज की समस्या ने पुत्री के जन्म को ही अप्रिय बना दिया। बाल-विवाह से विधवा समस्या और वेश्या समस्याओं का जन्म हुआ। विभिन्न प्रकार की समस्याओं के अभिशाप को लादने के कारण ही समाज में स्त्री की स्थिति बहुत शोचनीय हो गयी है। यह कहना बिलकुल सही है कि मध्यवर्ग में जो नारी घर की प्रतिष्ठा है। उसे अपनी इच्छाओं और आशाओं का गला घोटना पड़ता है। यों भी कहा जा सकता है कि महिलाओं के साथ समस्याओं का जुड़ा रहना उनकी नियति-सी बन गई है। जब वह घर में कैद थीं तब भी उसको घेरे अनेक समस्याएँ थी।