हरियाणा के दक्षिणी भाग को सामान्यतः ‘अहीरवाल’ कहा जाता है। अहीरों (यादवों) का बाहुल्य होने के कारण इस अंचल का नाम अहीरवाल पड़ा। इतिहासकार डॉ. के.सी. यादव ने इस अंचल का परिचय देते हुए कहा है- हरियाणा प्रांत के अंतर्गत गुडगाँव जिले के उत्तरी तथा पश्चिमी भाग, रोहतक जिले की झज्जर तहसील तथा हिसार व भिवानी जिले के कुछ भाग तथा राजस्थान की बहरोड़, मुंडावर, बानसूर तहसील और कोटकासिम के परगने को ‘अहीरवाल’ के नाम से पुकारा जाता है।1 इस अंचल के प्रसिद्ध लोककवि कल्लू भाट ने इस अंचल को ‘देवता का देस बास’ अर्थात् ‘अहीरवाल’ देवी-देवताओं और संतों की भूमि है। इस अंचल में अनेक संत-महात्मा हुए हैं, जिन्होंने भक्ति मंदाकिनी की धवल धारा बहा दी है तथा इस अंचल के लोगों के हृदय में भक्ति भाव का बीजारोपण किया है।