साहित्य मानवीय संवेदनाओं की अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम है। साहित्यकार साहित्य के माध्यम से अपने विचारों को जन-जन तक पहुँचाता है। इस कार्य को पूरा करने में जिस लगन और समर्पण को परिचय एक रचनाकार देता है, वह मानव-समाज के लिए सदा से प्रेरणा स्रोत रहा है । भाषा का श्रेष्ठ रूप तथा उसकी अन्तर्निहित शक्तियाँ केवल साहित्य के माध्यम से ही उजागर होती हैं। आत्मकथा व्यक्ति का वह अन्तःसाक्ष्य है जो उसके सम्पूर्ण जीवन यात्रा का प्रामाणिक दस्तावेज प्रस्तुत करता है। आत्मकथाकार अपने विगत जीवन की महत्त्वपूर्ण घटनाओं को सच्चाई और ईमानदारी के साथ तटस्थ होकर अभिव्यक्त करता है। अपने विषय में कुछ बताने की इच्छा मानव मात्र मे स्वाभाविक रूप से विद्यमान रहती है। इस शाश्वत और स्वाभाविक इच्छा को कार्य रूप में परिणत करने के लिए मानव आत्मकथा के सृजन हेतु अग्रसर होता है। हिन्दी साहित्य में इस विद्याके अतिरिक्त कोई भी ऐसी विद्या नही है, जो प्रत्येक रूप से मानव के व्यक्तित्व का उद्घाटन करने में समर्थ हो। इस दृष्टि से साहित्य की अन्य सभी विद्याओं में सबसे अनुकूल एवं सहज विद्या आत्मकथा ही प्रतीत होती है।