उपलब्ध स्रोतों के आधार पर 18वीं सदी के पूर्वाद्ध में अमीरों के सामाजिक स्तर को तीन वर्गों में बाँटा जा सकता था। इन तीनों वर्गों के जीवन स्तर में बहुत अंतर था। इस सामाजिक ढांचे में सबसे ऊपर बादशाह उसके परिजन तथा अमीर थे। मध्यम वर्ग में व्यापारी, दलाल, अध्यापक, वैद्य, हकीम जैसे व्यावसायिक और राज कर्मचारी आते थे। इस वर्ग का नगरीय जीवन में महत्वपूर्ण स्थान था।