इक्कीसवीं सदी सूचना एवं संचार की सदी बनकर उभरी है। उसने सूचना प्राप्ति एवं संचार साधनों के अनेक रूप-प्रतिरूप हमारे सामने उपलब्ध करा दिए हैं। एक युग था, जब संचार के सीमित साधन ही उपलब्ध थे। आज जनसंचार के आधुनिक साधनों ने विश्व की सीमाऐं लाँघकर अन्तरिक्ष में प्रवेश कर लिया है। लेकिन प्रकृति का यह कैसा विरोधाभास है कि एक ओर तो मानव अपने कल्याण की दिशा में कर्मरत हैं वहीं दूसरी ओर उसकी विध्वंसकारी प्रवृत्तियाँ उसे स्वार्थ की पूर्ति में लगा देती है। संचार के वैज्ञानिक साधनों ने जहाँ विकास के मार्गों को प्रशस्त किया है वहीं साइबर अपराधों को प्रोत्साहन दिया है। वर्तमान में, मानव ने प्रौद्योगिकी के नए आयाम खोज निकाले है और स्थिति यह है कि उद्योग हो अथवा कोई भी महत्वपूर्ण योजना, चिकित्सा का क्षेत्र हो अथवा मनोरंजन की दुनिया, जनसंचार के अभाव में उसके अस्तित्व की कल्पना भी नहीं की जा सकती। ग्रामीण विकास विस्तृत शब्द ‘विकास’ का ही एक भाग है। विकास सम्पूर्ण विश्व के व्यक्तियों, परिवारों, समुदायों एवं राष्ट्रों द्वारा सार्वभौमिक उद्देश्यों को संजोये रखने का तरीका है। विकास प्राकृतिक रूप में भी पृथ्वी पर उपस्थित प्राणी मात्र को नैसर्गिक रूप से बने रहने एवं विकास के लिए प्रेरित करता है।