सम्प्रेषण मानव जीवन की अनिवार्य आवश्यकता है। सम्प्रेषण के लिए भाषा आवश्यक अंग है। इलैक्ट्रोनिक मीडिया ने सम्प्रेषण के आधुनिक स्वरूप का विकास किया है। मीडिया के ग्लोबल प्रसार ने सूचना विस्फोट जैसी स्थिति उत्पन्न कर दी है। हिन्दी अपने विभिन्न वैविध्य विकसित कर रही है। भाषा सदा गतिशील होती है। मीडिया ने उसे और अधिक गति प्रदान की है। नई-नई जरूरता के अनुरूप शब्द वाक्य और अभिव्यक्ति चुनने तथा वाक्य की विधियों को भी विकसित करते रहना होगा इस प्रकार हिन्दी व्यापक जनमत का निर्माण करने वाली भाषा बन सकती है क्योंकि उसकी पैठ व्यापक जनसंख्या तक है और मीडिया की मजबूरी है कि वह इतनी व्यापक पैठ वाली भाषा की उपेक्षा नहीं कर सकता। इसलिए चाहे विकास के कार्यक्रम हों अथवा जन शिक्षण के चाहे समाचार पत्र-पत्रिकाएं विज्ञापन हों या समाचार चाहे मनोरंजन हो या इतिहास-मीडिया को सरल अर्थपूर्ण और विषयवस्तु की प्रवृत्ति के अनुकूल भाषा की तलाश रहती है। हिन्दी ने व्यवहार क्षेत्र की इस बहुविविध व्यापकता के अनुरूप अपने को ढालकर अपनी भाषिक संचार क्षमता का विकास बहुत तेजी से कर दिया है। यही कारण है कि आज अन्तर्राष्ट्रीय चैनल में हिन्दी फैशन से लेकर विज्ञान और वाणिज्य तक सब प्रकार के आधुनिक संदर्भों को बखूबी व्यक्त कर रही है।