पौराणिक गाथा जाति विशेष की संस्कृति के सौन्दर्यात्मक मूल्य तरीकों के कोष के रूप में मानी जा सकती है। यांत्रिक सभ्यता की पीड़ा और यंत्रणा से त्रस्त होकर अनेक कवियों ने पुरावृत्त खोजने और गढ़ने का प्रयत्न किया है। यांत्रिक सभ्यता की असंगतियों से त्रस्त परिवेश में पुरातत्व के माध्यम से पीड़ा और यंत्रणा की अभिव्यक्ति की गयी है।