ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना से लेकर 100 वर्ष तक अंग्रेजो ने देश मे शिक्षा को प्रोत्साहित करने मे कोई रुचि नही दिखाईं। इस दौरान केवल व्यक्तिगत स्तर पर ही शिक्षा के प्रोत्साहन एवं विकास हेतु प्रयास किये गये थे। प्रारंभिक 100 वर्षों के बाद अंग्रेजो ने भारत के शिक्षा क्षेत्र मे उल्लेखनीय प्रगति की, जिसके कुछ तत्व हमें आज की शिक्षा व्यवस्था में भी देखने को मिलते है।