संस्कृति किसी भी राष्ट्र या समाज के परंपरागत संस्कारों का वह सम्मुचय है जिससे उसके आचार-विचार, रहन-सहन, रीति रिवाजों, कला, नैतिक, धर्मिक और आध्यात्मिक विश्वासों की अभिव्यक्ति होती है। समाज बनकर बिगड़ते रहते हैं , लेकिन संस्कृति न तो एक युग में बनती है और न ही बिगड़ती है बल्कि इसका -युगों तक उनके उत्थान, पतन, आघात, अवरोधों का इतिहास होता है। मैथिलीशरण गुप्त हिंदी साहित्य के सांस्कृतिक चेतना के प्रतिनिधि कवि हैं। वे द्विवेदी युग के कवि माने जाते हैं। राष्ट्रीयता द्विवेदी युग के काव्ज की प्रधान भावना थी। यद्यपि गुप्त जी के ‘साकेत’ ‘यशोधरा’ और ‘द्वापर’ आदि सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ छायावाद युग में प्रकाशित हुए।