गरीबी में ऐसे लोग, परिवार, सामाजिक समूह शामिल है जो अपने जीवन काल में लगातार गरीब बन रहे हैं, और जिनके परिवारों को गरीबी की अवस्था विरासत में मिली है। ऐसी गरीबी से निकलना मुश्किल सिद्ध हुआ है। गरीबी का केवल आर्थिक ही नहीं बल्कि भौगोलिक, सामाजिक और राजनैतिक आयाम भी है। गरीबी के भौगोलिक विश्लेषण में शोध अध्ययन यह संकेत करता है कि संसाधनों की कमी या संपत्ति विहीनता-जमीन का अभाव, जल वन, आवास, साक्षरता और पूंजी तक पहुंच का न होना, ये सभी परिस्थितियाँ गरीबी की निशानियाँ है। उन लोगों की आवाज सुनी नहीं जाती और राज्य और समाज द्वारा स्थापित संस्थाओं से उन्हें कोई शान्ति नहीं मिलती। योजना आयोग के द्वारा गठित “विशेषज्ञ गु्रप” के अनुसार 2400 कैलोरी उपभोग की सामान्य मापदण्ड माना तथा इसे सभी राज्यों के समान रूप में स्वीकार किये जाने की सिफारिश की।
शोध अध्ययन यह स्मरण दिलाता है कि गरीबी असान बीमारियों और अवसरों की असमानता को समाप्त करने को मुख्य प्राथमिकता समझा गया था। फिर भी इस समस्या के समाधान के लिए ही कुछ विशेष कदमों को उठाएँ जाने के बाद भी अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। अध्ययन क्षेत्र में गरीबों की बहुत-सी श्रेणियों के परिवार अभी भी बुरी दशा में है। सरकारी योजनाओं की मार्गदर्शिका, प्रचार-प्रसार में कानून की कमी से क्षेत्र में गरीबी, अज्ञान और बीमारियों को मिटाने के संघर्ष को बल मिलेगा तथापि, आज भी देश, राज्य या पिछड़े आदिवासियों के क्षेत्रों में गरीबी और भूखमरी व्याप्त है। अध्ययन प्रदेश में कुल बीपीएल परिवार में 56.14 प्रतिशत तथा अजजा के परिवारों का 46.67 प्रतिशत बीपीएल है। प्राप्त तथ्यों के आधार पर बीपीएल सर्वेक्षित आंकड़ों से प्राप्त सूचना में 11.89 प्रतिशत वास्तविक चयन सूची में आने से ...