औपचारिक शिक्षा के क्षेत्र में आज छात्र के विभिन्न विषयों में प्राप्त अंकों के प्रतिशत द्वारा निरूपित होती है। उसकी सफलता का आकलन विभिन्न विषयों में प्राप्त उसके अकों पर आधारित होता है, किन्तु उसके व्यक्तित्व का पूरा अनुमापन इस शैक्षिक उपलब्धि में समाविष्ट नहीं हो पाता है। आज नकल के इस युग में विद्यार्थी को मानसिक योग्यताओं शारीरिक क्षमताओं और जाणाकों का सही मूल्यांकन गहों हो पा रहा है। फिर भी इस शोध प्रग में नि हाच प्राप्त अंकों को ही इसकी शैक्षिक प्रदर्शन माना गया है। इस रुप में इस शोध प्रबन्ध की ये सीमायें हैं और समस्या भी है। आज माध्यमिक स्तर पर विशेष रुप से गल की प्रवृरिश ने यह स्थिति उत्पण कर दी है कि किसी छात्र द्वारा प्राप्त अक वास्तविक है अथवा नहीं, घताना बहुत कठिंन है। जहां तक वास्तविक शैक्षिक उपलब्धि का प्रश्न हैं, लिखित परीक्षा के अंक इस विद्यार्थी को सांगोपांग योग्यता, क्षमताओं और व्यक्तित्व की विशेषताओं का बाराविया गिरण नहीं कर पाते। फिर भी सिद्धान्ताः इस शैक्षिक उपलब्धि यो भाषा के शप में इन लिखित में प्रयोगात्मक परीक्षाओं में प्राप्त अकों को ही मुख्य अवलम्य माना गया है।