साल 2011 की शुरूआत में ‘अरब लहर’ पैदा हुई। तीन प्रमुख अफ्रीकी इस्लामी देशों ट्यूनिशिया, मिस्र और लिबिया में तानाशाहों के मुकाबले जो लोग सत्ता में आए वह लोकतंत्र और इस्लाम की बात करने वाले राजनीतिक दल थे। मूलरूप से नए धर्म के तौर पर इस्लाम में विवाह, सम्पत्ति, अधिग्रहण, राजनीति, सामाजिकता, कराधन समेत राजनीतिक व्यवस्था के बारे में व्यापक स्पष्टता प्रदान की गई। साल 2011 की अरब की सोशल मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक़ 94 प्रतिशत ट्यूनिशियाई और 88 प्रतिशत मिस्री लोगों ने न्यू मीडिया के ज़रिए जानकारी हासिल की। “दोनों देशों की जनता ने राज्य नियंत्रित मीडिया के माध्यमों पर कम विश्वास किया। (ट्यूनिशिया की 40 प्रतिशत और मिस्र की 36 प्रतिशत जनता ने)” यह आश्चर्य की बात है कि जब मिस्र में अरब लहर आई, उस समय जितने अख़बार के पाठक नहीं थे, उससे ज़्यादा मिस्री फेसबुक पर यूज़र के तौर पर मौजूद थे।