• बेड़िया जाति की प्रथाओं का अध्ययन करना।
• बेड़िया जाति की परम्पराओं का अध्ययन करना।
• बेड़िया जाति के परम्परागत नृत्य राई का अध्ययन करना।
शोधकर्ता ने प्रस्तुत शोध अध्ययन में शोध की गुणात्मक अनुसंधान एवं अनुसंधान की ऐतिहासिक विधि का प्रयोग किया है।
बेड़िया जाति के लोगों की वर्तमान संख्या (जनसंख्या) के बारे में सरकारी प्रमाण उपलब्ध नहीं है क्योंकि 1941 के बाद से जाति अनुसार आंकड़ों का संकलन त्याग दिया गया। म.प्र. के सागर जिले में बेड़िया जाति बहुलता में निवास करती है। सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक जीवन शैली एवं अवलंबित विषय के आधार पर बेड़िया जाति अन्य जातियों से पृथक विशेषता वाली जाति है। बेड़िया जाति की महिलाओं की विचित्र जीवनशैली शोधार्थी का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट करती है। यह जाति बुन्देलखण्ड के प्रसिद्ध ‘राई’ नृत्य के कारण जानी जाती है। यह नृत्य बेड़िया जाति की औरतें जिन्हें बेड़नी कहा जाता है सम्पन्न करती है। बुंदेलखण्ड की अपनी कला संस्कृति है लोक जीवन है। जिसमे लोकनृत्य, लोकनाट्य, लोकसाहित्य, लोकसंगीत है जिसमे पहुँचकर ही इसकी विशाल संस्कृति का आभास हो सकता है। राई एवं राई नृत्ययांगानाओ को राजाश्रय प्राप्त रहा है। बुंदेलखंड का लोक नृत्य राई नहीं बल्कि स्वांग है। हालाँकि लोक राई को लोक नृत्य मानता है परन्तु मध्य प्रदेश की अधिकारिक वेबसाइट पर राई जैसे किसी लोक नृत्य का जिक्र नहीं है क्योकि श्राई एक जातिगत नृत्य है जिसे बेड़िया जाति की महिलाए ही करती हैं। ये स्वांत सुखाय के लिए नृत्य नही करती, जबकि यह नृत्य लोक सुखाय के लिए करती है। जबकि लोक नृत्य स्वांत सुखाय के लिए किया जाता है।