मेरे शोध पत्र का उद्देश्य बहुपठित साहित्यकार और नारी अधिकारों की पैरोकार अंजु दुआ ‘जैमिनी’ के साहित्य में उनकी नारी के प्रति दृष्टि और नारी के हक़-हकूक की आवाज़ की खोजबीन करना है I
नारी सदा-सर्वदा से ही दलित और शोषित रही है I सृष्टि-सर्जक होने के पश्चात भी नारी के लिए आवाज़ उठाने वाले लोग कम ही हैं I हिंदी के आधुनिक साहित्यकार, विशेषत: ‘महिला साहित्यकार’ नारी उत्थान हेतु प्रयासरत हैं I औरत को बराबरी का हक़ दिलाने के लिए उन्होंने कलम को अपना हथियार बनाया हैi अंजु दुआ ‘जैमिनी’ इन्हीं साहित्यकारों की भीड़ से गूंजती हुई एक अलग ही आवाज़ है I