बाल गंगाधर का मानना था कि अगर दो शताब्दियों पहले शिवाजी स्वराज्य स्थापित करने में सफल हुए थे तो निश्चय ही हम भी एक दिन स्वराज्य को पाकर रहेगे। उन्होंने भारत की सेवा एक महान स्वतन्त्रता सेनानी, पत्रकार, राजनैतिक चेतना के वाहक व समाज सुधारक के रूप में की। बाल गंगाधर तिलक ने भारत मैं राष्ट्रवाद का जब भारतवासी भयमुक्त हुए थे। उन्हें लिखने व आन्दोलन करने की भी आजादी नहीं थी। कुछ भी कहने से पहले उन्हें अपने चारों तरह देखना पड़ता था। अंग्रेजों का भय जनमानस पर छाया हुआ था।