आज के इस वैज्ञानिक युग में अगर देखा जाए तो संगीत का क्षेत्र अछुता नहीं रहा है। संगीत की महता बहुत ही बढती जा रही है। पहले समय में संगीत केवल घरानों में ही सीखा जता था अर्थात गुरू शिष्य परम्परा ही मान्य थी। उसके बाद संगीत में रूचि रखने वाले ग्रामोफोन, ट्रांजिस्टर, टी0वी0 आदि की सहायता से संगीत सीखते थे। परन्तु अज के इस वैज्ञानिक युग में संगीत विषय सभी विद्यालयों व विश्वविद्यालयें में आवश्यक विषय के रूप में शामिल हो गया है और यह बहुत ही प्रसन्नता का विषय है कि संगीत जैसा महान विषय वि़द्यार्थी को घर बैठे ही सिखने में मिल रहा है और यह उनका सौभाग्य माना जाता है।