भारतीय खुदरा विपणन का दुनिया में पांचवां सबसे बड़ा स्थान है। खासकर पिछले कुछ वर्षों में खुदरा विपणन भारत के उत्तर प्रदेश में सबसे तेजी से बढ़ते उद्योगों में से एक है, हालांकि शुरू में उत्तर प्रदेश में खुदरा विपणन ज्यादातर असंगठित था, इसके उपरान्त उपभोक्ताओं की आवश्कताओ और वरीयताओं के परिवर्तन से, उत्तर प्रदेश में खुदरा विपणन इन दिनों और अधिक लोकप्रिय हो रहा है और साथ ही संगठित हो रहा है। उत्तर प्रदेश के खुदरा बाजार देश के सकल घरेलू उत्पाद का 22% है और यह कुल रोजगार का 8% योगदान देता है अगले पांच सालों में कुल खुदरा खर्च में दोगुना होने का अनुमान है। इनमें से संगठित खुदरा - वर्तमान में 22% सी.ए.जी.आर. में बढ़ रहा है - कुल व्यय का 21% होने का अनुमान है असंगठित खुदरा क्षेत्र की प्रतिवर्ष लगभग 10% बढ़ने की उम्मीद है, साथ ही 2006-07 में 309 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2010 में 496 अरब डॉलर के होने की उम्मीद है। यह पत्र खुदरा विपणन, संगठित या असंगठित खुदरा विपणन, खुदरा विपणन में प्रमुख व्यापारियो के चेहरे को बदलने पर केंद्रित है, और निकट भविष्य में विपणन द्वारा सामना की जाने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डाला गया है।