भारतीय समाज में नारी का महत्वपूर्ण स्थान है।'यत्रनार्यस्तुपूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता' अर्थात् जहाँ नारी की पूजा होती है वहाँदेवता निवास करते हैं। नारी ईश्वर की सर्वोत्तम कृति है। नारी को गुणों का पुँज बतायागया है-'सूर्य जैसा तेज,चन्द्र जैसी शीतलता, समुद्र जैसी गंभीरता,पवनजैसी क्षमा,आकाश जैसी विशालता,वृक्षों जैसा त्याग ' का एकत्रीकरण नारी में है।इनसब उपमाओं के कारण नारी स्वयं पर गर्व महसूस करती है।