नई शिक्षा नीति 2020, जुलाई 2020 में भारत के केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित, बाधा-मुक्त को प्रोत्साहित और बढ़ावा देता है दिव्यांग सभी बच्चों के लिए शिक्षा तक पहुंच। भारत की पहली शिक्षा नीति 1986 में प्रारंभ की गई तथा 1992 में अंतिम बार संशोधित की गई। तब से, भारत को अपनी संपूर्ण शिक्षा में बदलाव की आवश्यकता थी,नई शिक्षा नीति उन बहुप्रतीक्षित नए सुधारों का वर्णन करती है जिनकी भारत को तलाश थी।इस तरह की नई स्कूल नीति के तहत उन परिवार तथा उन परिवार के दिव्यांग बच्चों के लिए सभी सुविधाएं उनके अनुकूलित हो एक ऐसे समाज का निर्माण किया जा रहा है।नई शिक्षा नीति दिव्यांग छात्रों हेतु एक नई सोच को लेकर आई है जिसके माध्यम से दिव्यांग छात्र छात्राएं बाधा मुक्त वातावरण में शिक्षा ग्रहण कर अपना जीवन यापन कर सकते हैंनई शिक्षा नीति दिव्यांग छात्रों को पढ़ाने हेतु 2 नियमों पर सबसे अधिक जोर डालती है की इनके लिए पठन-पाठन की सामग्री इनके अनुकूलित हो तथा पढ़ाने के तरीके में भी विशिष्ट प्रकार की शिक्षण नीतियों का प्रयोग किया जाए। दिव्यांग छात्रों को प्री-स्कूल और प्राथमिक शिक्षा तकपहुंचने में सबसे ज्यादा बाधा दिखाई देती है । 47 से कम स्कूल भवनों में रैंप हैं, और केवल लगभग 27 स्कूलों में हैं सुलभ शौचालय,इनके अलावा ऐसी और भी बाधाएं हैं जो अनेकों स्कूलों में देखने को मिलती हैं छात्रों को कक्षा कक्ष में बैठने का उचित प्रबंध नहीं है तथा इसके साथ-साथ भवन में आवागमन करने का सही स्थान भी उपलब्ध नहीं है दिव्यांगजन अधिनियम 2016 के अनुसार 21 प्रकार की दिव्यांगताए हमारे आसपास हैं इन सभी को शिक्षा में अनेकों समस्याओं का सामना करना पड़ता है।नई शिक्षा नीति के तहत दिव्यांग बच्चे एक समान रूप से शैक्षिक प्रणाली ...