मानव जन्म से, पशुवत आचरण करता है किन्तु उसके मूल-प्रवित्यात्मक व्यवहारों का शोधन पर्यावरण के माध्यम से प्रारम्भ होता है। इसी शोधन की प्रक्रिया से मानव व्यवहारों में परिवर्तन प्रारम्भ होता है, इन परिवर्तित व्यवहारों को सामाजिक प्रक्रिया में मूल्य प्रदान कर उन्हें हतोत्साहित अथवा प्रोत्साहित किया जाता है। भारतवर्ष को मूल्यों, मान्यताओं का देश कहा गया है। इसी मिट्टी में भगवान राम कृष्ण तथा महात्मा बुद्ध आदि हमारे पूर्वजो मूल्यों को स्थापना हेतु अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। आज भारतीय समाज में मूल्यों के प्रति कम होते विश्वास को रोकना, शिक्षा जगत से जुड़े व्यक्तियों हेतु अति आवश्यक है। इसके लिए विद्यार्थियों की मूल्य निर्माण प्रक्रिया को प्रभावित करने वाले पर्यावरण व शिक्षा के विभिन्न कारको को जानना, समझना व इनमें आमूल-चूल परिवर्तन की महती आवश्यकता है। इसके लिए विद्यार्थी के घर से लेकर उसके विद्यालय के अन्दर तक के पर्यावरण को प्रभावित करने वाले तत्वों में व्यापक सुधार तथा शिक्षा-शिक्षण की प्रक्रिया को सरल स्वाभाविक, जिज्ञासु तथा आनन्द दायक बनाया जाना है तभी विद्यार्थियों की मूल्य निर्माण प्रक्रिया को प्रभावित कर उसे मानवीय ढांचे में ढाला जा सकेगा।