Article Abstract

आर्यों के धार्मिक विभाजन केवल हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म, जैन और चार्वाक तक ही सीमित नहीं थे, बल्कि 'कुंभर' नाई, धोबी, चमार आदि तक भी फैले हुए थे। नौकरियों, व्यवसायों और आचरण की कई जटिल समस्याओं ने वर्ग निर्माण में बहुत योगदान दिया। विभिन्न प्रकार की 'साधना' भी नई जातियों और वर्गों में विकसित हुई। इस प्रकार, हम देखते हैं कि कबीर के समाज में कई वर्गीकरण थे, समाज धर्म विचार, जाति, आश्रम, धन, पद, नैतिक संहिता और आचरण, जो आने वाली आलोचना से मान्यता बदल गई।