यह स्त्री यात्रा-साहित्य में अंतरात्मा का शिल्पगत विश्लेषण पर चर्चा की गई है “यात्राएँ हमें बाहर के स्पेस में ही नहीं ले जाती, उन अज्ञात स्थलों की ओर भी ले जाती हैं, जो हमारे भीतर है।ष् अतः खुद को समझने के लिए यात्राएँ सहायक हैं। लेखिका के लिए प्रत्येक यात्रा स्थान महज कोई देश या शहर नहीं थी। प्रत्येक देश की प्रकृति ही नहीं, उनका स्पंदन, उनकी आत्मा, उनका प्रेम, उनका सुख-दुःख सबकुछ यात्री कुसुम खेमानी में अन्तर्भूत होकर एकात्म होता देखा जा सकता है। अतः यात्रा मात्र एक शारीरिक प्रवृत्ति नहीं है। मन-मस्तिष्क का भी उसमें भागीदारी है। अतः यात्रा व्यक्ति में निखार लाती है, ।