अति प्राचीन काल में मनुष्य जीवन जीता था। तब उपे जीवन के लिए संघर्ष करना पड़ता था। उस समय शक्तिशाली ही जीवित रह प्कता था। अतः मनुष्य को अपना बल बढ़ाना होता था। तब सम्भवतः संघर्ष और शक्ति, ये ही उसके जीवन मूल्य रहे होंगे। धीरे-धीरे मनुष्य प्राकश्तिक जीवन सामाजिक जीवन की ओर अग्रसर हुआ, ऐसे सामाजिक जीवन की ओर जिसमें संघर्ष और शक्ति के स्थान पर प्रेम, सहानुभूति और प्हयोग का महत्व था, जिसमें निर्बल लोगों का जीवन भी सुरक्षित हुआ। प्रेम, सहानुभूति और सहयोग को हम मूलभूत सामाजिक नियम, आदर्श, सिद्धान्त मानदण्ड अथवा मूल्यों की संज्ञा दे प्कते हैं। पर जैसे-जैसे हमने अपना विकास किया हमारे समाज का संलिष्ट होता चला गया, उसके विभिन्न आयाम विकसित हुए- समाजिक, सस्कृतिक, धार्मिक, राजनैतिक और आर्थिक, सिद्धान्त, नैतिक नियम और व्यवहार मानदण्ड विकसित हुए।