शिक्षा मानव जीवन को श्रेष्ठ बनाने का महत्वपूर्ण साधन है पर मानव जीवन तब श्रेष्ठ बनेगा जब मनुष्य मानसिक रूप से स्वस्थ होगा। मनुष्य को वातावरण का ध्यान रखना चाहिये। विद्यार्थियों के मानसिक स्वास्थ्य के विकास में शिक्षा, शिक्षण, विद्यालय के वातावरण की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यदि विद्यालय वातावरण सही होगा तो शिक्षक, विद्यार्थी, आस-पडौस के लोग स्वस्थ एवं शिक्षित होगें। फ्राबेल, वाटसन, व्यूमैन आदि वैज्ञानिकों ने विद्यार्थियों के मानसिक स्वास्थ्य व विद्यालय वातावरण को महत्वपूर्ण माना है। विद्यालय वातावरण के अन्तर्गत सभी प्रकार की व्यवस्थाएँ आती है, जो विद्यार्थीयों के मानसिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। जैसे- विद्यालय भवन, मैदान, शिक्षक, छात्र-छात्राऐं, साफ-सफाई, पुस्तकालय, शौचालय, पानी पीने की सुविधा आदि।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 में विद्यालयों के वातावरण को सृजित करने का निर्णय लिया गया मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहने के लिए हमको ‘‘स्वच्छ भारत अभियान‘‘ को अपनायाहोगा। शिक्षा के इतिहास में एक समय था जबकि बच्चे की बुद्धि, रूचि, और विद्यालय केवातावरण, मानसिक स्वास्थ्य आदि स्थितियों की ओर ध्यान नही दिया जाता था अब शिक्षा काकेन्द्र बालक बन गया है। उसके मानसिक व विद्यालय के वातावरण व पाठयक्रम का निर्माण किया गया है।
प्रत्येक अध्यापक को मानसिक स्वास्थ्य के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिये। जिससे विद्यार्थियों को विद्यालय में अनेक प्रकार की सुविधा व वातावरण सम्बन्धी किसी भी प्रकार की परेशानी नही होनी चाहियें अगर विद्यालय का वातावरण दूषित हुआ तो विद्यार्थीयों को अनेक प्रकार की बीमारियाँ व मानसिक सम्बन्धी परेशानियों का सामना करना पड सकता है। ओटावें ने विद्यालय के वाताव ...