वर्तमान में निरन्तर शिक्षा के क्षेत्र में परिवर्तन हो रहे है और शिक्षा में विभिन्न विषयों का समावेश भी उसी में से एक है। शिक्षण प्रक्रिया में कक्षा 10 के उपरान्त विषय चयन एक महत्वपूर्ण एवं गंभीर निर्णय होता है। विषय का सही चयन न होने पर विद्यार्थी में भटकाव व अलगाव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। विषय चयन में शैक्षिक परामर्शदाता की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है यदि उचित समय पर विद्यार्थी की बुद्धि अभिरूचि, दक्षता, क्षमता का मूल्यांकन मनोवैज्ञानिक परीक्षणों के माध्यम से करके विद्यार्थी की जिस क्षेत्र में रूचि है उसी आधार पर विषय का चयन हो तो विद्यार्थी के लिए अधिगम प्रक्रिया सरल हो जाती है।