शिक्षा की गुणवता में सुधार में शिक्षकों का महत्वपूर्ण स्थान है, राष्ट्र की शिक्षा व्यवस्था में शिक्षक की भूमिका सर्वोपरि है। शिक्षक की योग्यता, सूझबूझ कार्यक्षमता से ही भवन पाठ्यचर्या और उपकरणों का समुचित उपयोग कक्षाओं के अंदर हो सकता है। शिक्षक ही विद्यालय को प्राणवान बन सकता है। अध्यापक के प्रशिक्षण पर किए गए व्यय का प्रतिफल सचमुच काफी मूल्यवान है क्योंकि उसके परिणामस्वरूप लाखों छात्रों की शिक्षा में जितना सुधारात्मक व गुणात्मक परिवर्तन होगा शिक्षक की अभिक्षमता में भी उतनी ही वृद्धि होगी।