शिक्षा वर्तमान समाज का महत्वपूर्ण घटक है जिसकी आधारशिला बालकों पर टिकी हुई है। बच्चे राष्ट्र की अनमोल निधि है। उन्ही पर राष्ट्र की आशाएँ व उम्मीदे निर्धारित होती है। बच्चो को जीवन में प्यार, दूलार, प्रोत्साहन व संरक्षण चाहिए। बालकों की आकांशाओं व आवश्यकताओं को देखते हुऐ 20 नवम्बर, 1959 को संयुक्त राष्ट्रसंघ ने विश्व के सभी बालकों के “नौ अधिकारों” की घोषणा की जिसमें “शिक्षा का अधिकार” पहला व महत्वपूर्ण है। जिसकी पूर्ति के लिए समाज में अनेक गैर सरकारी संस्थाएँ कार्य करती है इसी प्रकार “अलवर” जिले में निर्वाणवन फाउण्डेशन द्वारा समाज से वंचित बालकों को शिक्षा प्रदान की जाती है। इस कार्य के दौरान फाउण्डेशन के समक्ष आर्थिक, शैक्षिक एवं सामाजिक समस्याएँ निरन्तर बनी रहती है। न्यादर्श के रूप में अलवर जिले के “निर्वाणवन फाउण्डेशन” की पाँच शाखाओं के ‘500’ (विद्यार्थी-150, अध्यापक - 100, अभिभावक - 150, संस्था से जुड़े समाज के लोग-100) का चयन किया गया है। एवं सस्था प्रधानो के लिए साक्षात्कार का चयन किया गया है। शोध में एकल अध्ययन विधि का चयन किया गया है। शोध में प्रतिशत और विवरणात्मक सांख्यिकी का प्रयोग किया गया है। उपकरण स्वनिर्मित है जिसमें 30-30 प्रश्नो की ‘दो’ प्रश्नावली है जिसमें सकारात्मक प्रश्न के लिए ‘2’ ब नकारात्मक प्रश्न के लिए ‘0’ अंक निर्धारित है । एक प्रश्नावली विद्यार्थियो के लिए एवं एक प्रश्नावली अध्यापक, अभिभावक व संस्था से जुड़े समाज के लोगों के लिए है । साथ हि ‘15’ प्रश्नो का स्वनिर्मित साक्षात्कार पत्रक है। प्रस्तुत शोध का निष्कर्ष यह निकलता है कि संस्था के समक्ष सबसे अधिक उसके बाद शैक्षिक व अंतः सामाजिक समस्याएँ बनी रहती है।