न्यायालयों में विचाराधीन प्रकरणों या मुदमेबाजी के पूर्व के विवादों का आपसी सूझ-बूझ के आधार पर निपटारा किऐ जाने हेतु लोक अदालतों का आयोजन किया जाता है। जिसमें पक्षकार अपने मामले का निपटारा आपसी समझौते, सूझ-बूझ एवं सुलह से लोक अदालतों के माध्यम से करा सकते हैं।