पर्यावरण, एक देश की आर्थिक उन्नति में बहुत ही महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। प्राचीन काल से ही पर्यावरण व आर्थिक विकास में घनिष्ठ सम्बन्ध है। आज पर्यावरणीय मुद्दे विश्वव्यापी समस्या बन गये हैं। यह एक ऐसी समस्या है जिसके उत्तरदायी और कोई नहीं बल्कि मानव ही हैं। आज विकास की दौड़ में हम प्रकृति से खिलवाड कर रहे हैं जिसके परिणाम हमारे सामने हैं। वर्तमान समय में सम्पूर्ण विश्व में विभिन्न क्षेत्रों में विकास हो रहा है, जिसके फलस्वरूप लोगों का जीवन स्तर सुधर रहा है, लेकिन इस विकास की अंधी दौड में पर्यावरण एवं प्राकृतिक संसाधन पूरी तरह से प्रभावित हो रहे हैं। आज यह विचार करना जरूरी हो गया है कि क्या हमने, स्वतन्त्रता प्राप्ति से अब तक इन वर्षों में भारत के लिए सतत् विकास या टिकाऊ विकास की नींव तैयार की है? तथा इसके साथ ही यह विचार करना भी जरूरी है, कि सतत् विकास की प्रक्रिया प्रारम्भ से ही अंगीभूत क्यों नहीं की गई?