महर्षि पतंजलि द्वारा लिखित योग सूत्र में चार पाद (अध्याय) और 195 सूत्र हैं। पतंजलि का योगदर्शन, समाधि, साधन, विभूति और कैवल्य इन चार पादों या भागों में विभक्त है।
पतंजलि योग दर्शन का स्थान भारतीय षड् आस्तिक दर्शनों में महत्वपूर्ण है।- पतंजलि के अनुसार चित्त की वृत्तियों को चंचल होने से रोकना (चित्तवृत्तिनिरोध) ही योग है। अर्थात मन को इधर-उधर भटकने न देना, केवल एक ही वस्तु में स्थिर रखना ही योग है।