हिन्दी पत्रकारिता का जन्म, स्वाधीनता का संचार, स्वदेश प्रेम का उदय एवं आंग्ल शासन के प्रबल प्रतिरोध हेतु हुआ। इस देश के लगभग सभी मनिषियों ने पत्रकारिता को देश प्रेम के विकास का और स्वतंत्रता प्राप्ति का प्रधान साधन मन था। सत्यप्रियता सत्यकथन अन्याय विरोध के बाद राष्ट्र प्रेम ही वह प्रमुख मूल्य है, जिससे भारतीय पत्रकारिता परवान चढ़ी।