सहकारिता का सिद्धान्त उतना ही प्राचीन है जितना कि मानवता का। इसे पिछली शताब्दी का एक आर्थिक चमत्कार माना गया है। सहकारिता एक व्यापक शब्द है। जीवन का कोई भी क्षेत्र, चाहे वह परिवार हो अथवा संस्था, समाज हो अथवा देश, सहकारिता के अभाव में चल नहीं सकेगा। किसी भी देश का सामाजिक, बौद्धिक, राजनैतिक और आर्थिक विकास इस बात पर निर्भर करता है कि वहाँ के निवासियों में पारस्परिक सहयोग कितना है।