भारतीय अर्थव्यवस्था में नियोजित विकास का मार्ग अपनाया गया है, प्रारंभ में नियोजन का केंद्रीकृत रूप अपनाया गया परंतु समय के साथ-साथ जन-जन की आवाज विकेंद्रीकरण की मांग करने लगी, इस तरह से भारत ने भी विकेंद्रीकृत नियोजन के मार्ग पर चलना प्रारंभ कर दिया है। विकेंद्रीकरण योजना में संसद सदस्य जो देश के विकास को गति देने के लिए महत्वपूर्ण योजनाओं का प्रस्ताव, स्वीकृति, क्रियान्वयन में महत्वपूर्ण भागीदारी करता है, वहीं दूसरी ओर उसके क्षेत्र की जनता की यह अपेक्षा होती है कि वह क्षेत्र को विकसित करें एवं अपने सांसदीय क्षेत्र का विकास करें। वर्तमान में जागरूक जनता, अपने प्रतिनिधि का चयन उसके द्वारा किये गये विकास कार्यों के आधार पर ही करती है, इस कारण सांसद भी इन आवष्यकताओं की पूर्ति हेतु एवं अपने निर्वाचन क्षेत्रों में निर्माण कार्यों को करवाने में विशेष रूचि लेते हैं।