कौटिल्य के अर्थशास्त्रा के विभिन्न प्रकरणों में शासन तंत्रा, मंत्रिपरिषद् एवं संस्थाओं का विशद् विश्लेषण है, साथ ही शासनतंत्रा में संस्थाओं की परंपरागत एवं नवीन विधियों के मध्य समन्वय के द्वारा राज-व्यवस्था को चित्रित करने का एक प्रयास है। विभिन्न स्रोतों एंव अर्थशास्त्रा से प्राप्त तथ्यों के आधार पर बृहत मौर्यसाम्राज्य की शासन संस्थाओं के विकास और उसमें राजा के बाद महत्वपूर्ण मंत्रिपरिषद् का उल्लेख है, जिसके द्वारा संपूर्ण शासनतंत्रा को राजा के सर्वोच्च निर्णय के निकट लाना, शासन-व्यवस्था की सपफलता को संपूर्ण तंत्रा मानता है।