गुप्तकाल में समाज, धर्म, कला, साहित्य व विज्ञान के विकास के साथ ही एक मजबूत आर्थिक ढाँचे का गठन हुआ। विभिन्न क्षेत्रों में गुप्तकाल की उपलब्धियों के कारण ही इसे क्लासिकल एज की संज्ञा दी गई है। गुप्तकाल के सांस्कृतिक विकास में इसकी आर्थिक समृद्धि का प्रमुख योगदान रहा है। कृषि, उद्योग और व्यापार में इस काल में काफी वृद्धि हुई। कई इतिहासकारों ने गुप्तकाल के अंतिम चरण में सामंतवाद का उदय बताया है और सामन्तीय व्यवस्था को देश की अर्थव्यवस्था के विघटन का संकेत माना जाता है। गुप्तकाल क्लासिकल युग था अथवा अर्थव्यवस्था के धीरे-धीरे ह्रास का काल, यह एक अत्यन्त विवादास्पद तथ्य है।