वैदिक युग का प्रारंभ ऋग्वेद से माना जाता है। इस युग में वेदों की रचना हुई। ऐसा विश्वास किया जाता है कि उस काल के ऋषियों ने संपूर्ण ज्ञान, तपस्या और योग बल से प्राप्त किया था। किसी भी देश का अतीत उसकी वर्तमान और भावी प्रेरणा का मूल स्रोत होता है। प्राचीन भारत की यह विशेषता है कि इसका निर्माण राजनीतिक, आर्थिक तथा सामाजिक क्षेत्र में न होकर धार्मिक क्षेत्र में हुआ था। जीवन में प्रायः सभी अंगों में धर्म का प्रधान्य था। भारतीय संस्कृति धर्म की भावनाओं से ओतप्रोत है। हमारे पूर्वजों ने जीवन की जो व्याख्या की तथा अपने कर्तव्यों का जो विश्लेषण किया वह सभी उनके वृहत्तर अध्यात्म ज्ञान की ओर संकेत करता है। उनकी राजनीतिक तथा सामाजिक वास्तविकता केवल भौगोलिक सीमाओं के अंतर्गत ही बंध कर नहीं रह गई, उन्होंने जीवन को एक व्यापक दृष्टिकोण से देखा और ‘सर्वभूत हीते रतः’ होना ही अपना कर्तव्य समझा।