चांदनी के गीतों का रचनाकाल सन १९३९ ई. से १९४५ के मध्य का है तथा इसका प्रकाशन १९४५ में हुआ था। चंद्र और चंद्रानन दोनों सदा से सहदयों को लुभाते रहे हैं। कवि गुलाब को भी चांदनी ने बहुत मुग्ध किया है। चांदनी के गीत कवि की भावुकता का मुखरित रूप है। विश्व का कदाचित ही कोई ऐसा कवि हो जिसने चांदनी पर अपनी लेखनी न उठायी हो पर किसी एक कवि ने लगभग पचास गीत लिखे हों यह अभी देखने में नहीं आया है।