न्यायपालिका लोकतात्रिक सरकार का तीसरा अंग माना जाता है। जो न केवल लोगों के मौलिक अधिकारों की है। अपितु सामाजिक क्रांति के संरक्षक भी कहा जाता है। यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता और सामाजिक नियंत्रण के मध्य विभाजन करने के साथ यह देश के सामान्य कानून का उच्चतम और अंतिम व्याख्याकार भी है। महिलाओं के अधिकार व सम्मान में न्यायपालिका की भूमिका काफी महत्वपूर्ण रही है।