गाँधी जी का व्यक्तित्व और आदर्शवादी रहा है। इनका आचरण प्रयोगवादी विचारधारा से ओतप्रोत था। संसार में लोग उन्हें महान राजनीतिज्ञ एवं समाज सुधारक के रूप में जानते है।
गांधी जी का शिक्षा के क्षेत्र में भी विशेष योगदान रहा हैं। उनका मूलमंत्र था- ‘‘शोषन विहीन समाज की स्थापना करना। उसके लिए सभी को शिक्षित होना चाहिए क्योंकि शिक्षा के अभाव में एक स्वस्थ समाज का निर्माण असंभव है।
बुनियादी शिक्षा सर्वथा भारतीय शिक्षा है। गांधी जी ने इस शिक्षा के द्वारा नवीन भारतीय समाज-रचना का स्वप्न देखा था, इसके द्वारा वे अपनी कल्पना का मानव निर्माण करना चाहते थे- जिसमें सत्य, अहिंसा तथा प्रेम का सम्मिश्रण हो। इसी कल्पना को व्यवहारिक रूप प्रदान की दिशा में उन्होंने बुनियादी शिक्षा का प्रादुर्भाव किया। इस दिशा में सर्वप्रथम कार्य उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में ‘टालस्टाय फार्म’ के स्कूल में प्रारम्भ किया। बौद्धिक विषयों के साथ-साथ उद्योग कृषि, बागवानी, पाक-कला आदि की शिक्षा भी दी जाती थी। यहीं उनका शैक्षिणिक प्रयोग 1911 से 1914 तक चलता रहा।