आज के समय मे मानव शैक्षिक व तकनीकी विकास पर अधिक बल दे रहा हैं, जिससे कृषि के स्वरूप, भूमि उपयोग, फसल वितरण एवं उत्पादन में परिवर्तन भली-भाँति देखा गया हैं। आज बढ़ती जनसंख्या, शिक्षा, कौशल, रोजगार की तलाश, भोजन व आवास आदि की पूर्ति के लिए भौतिक व प्राकृतिक वातावरण में अनेक प्रकार के परिवर्तन किये जा रहे है जिसका प्रभाव कृषि पर भी पड़ता दिखाई दे रहा हैं। आज बढ़ती जरूरतों को ध्यान में रखते हुए कृषि के अन्तर्गत गहन-कृषि, व्यापारिक-कृषि, मिश्रित-कृषि व फलोत्पादन-कृषि को प्रोत्साहित किया जा रहा हैं। इस शोध में अध्धयन क्षेत्र सांगानेर तहसील का सन् 2001-2016 के मध्य कृषि के स्वरूप का विस्तृत अध्यधन किया गया हैं। अध्धयन क्षेत्र सांगानेर तहसील मे फसल प्रतिरूप का अध्धयन किया जाए तो स्पष्ट होता है कि 2001 में रबी फसल के अन्तर्गत गेहूँ का क्षेत्र 13799 हेक्टेयर और उत्पादन 24939 मैट्रिक टन था जो 2016 मे घटकर क्षेत्र 6158 हेक्टेयर व उत्पादन 17979 मैट्रिक टन रह गया। इसी प्रकार खरीफ फसल के अध्धयन से स्पष्ट होता है कि 2001 में खरीफ फसल के अन्तर्गत बाजरा का क्षेत्र 14532 हेक्टेयर और उत्पादन 614 मैट्रिक टन था जो 2016 मे बढ़कर क्षेत्र 17196 हेक्टेयर व उत्पादन 8628 मैट्रिक टन हो गया। भूमि उपयोग का अध्धयन किया जाए तो स्पष्ट होता है कि 2001 में भूमि उपयोग के अन्तर्गत वास्तविक बोया गया क्षेत्र 474455 हेक्टेयर था जो 2016 में 27070 हेक्टेयर रह गया। इसी प्रकार 2001 में वन क्षेत्र 11410 हेक्टेयर, कृषि अयोग्य भूमि 11573 हेक्टेयर, जोत रहित भूमि 8301 हेक्टेयर, पड़त भूमि 10383 हेक्टेयर थी जो 2016 में क्रमश 763 हेक्टेयर, 15956 हेक्टेयर, 11002 हेक्टेयर, 14386 हेक्टेयर रह गया।