आज के छात्र ही देश के भावी कर्णधार हैं और इनके निर्माण में शिक्षा की भूमिका अधिक महत्वपूर्ण होती है क्योंकि शिक्षा के बिना कोई भी छात्र समाज में अपना स्थान नहीं बना सकता है। इस सन्दर्भ में शोधकत्र्ता को जिज्ञासा हुई कि वह ज्ञात करे कि छात्रों के अंतर्मुखी एवं बहिर्मुखी व्यक्तित्व आयामों के आधार पर शैक्षिक रूचि, शैक्षिक संतुष्टि एवं शैक्षिक-उपलब्धि किस प्रकार प्रभावित होती है अर्थात् उसकी आवश्यकता बालक की अभिवृत्ति को किस ओर इंगित करता है परन्तु जब यह रुचि शिक्षा के प्रति लक्ष्य बन जाती है तो इसका महत्व बालक के जीवन में उसके व्यक्तित्व के रूप में और अधिक हो जाता है। बालक के अन्दर सार्वभौमिक अभिवृत्तियों वाली शक्तियों का निर्माण हो जाता है। वह अपना स्थान समाज में प्रमुखता से रख पाता है। किसी भी समस्या के तह तक जाने के लिए हमें उसके कारणों एवं महत्वों के विषय में जानना आवश्यक होता है और यह तभी सम्भव है जब हम छात्रों की शैक्षिक रूचि से सम्बन्धित नित्य नई जानकारियाँ प्राप्त करें।