सम्बन्धित साहित्य का अध्ययन प्रत्येक वैज्ञानिक शोध प्रक्रिया का एक महत्तवपूर्ण अंग है। बिना पुनरावलोकन किये शोधकर्ता दिशाहीन होता है, इसके अभाव में हम एक कदम भी आगे नहीं बढ़ सकते हैं। जब तक हमें यह ज्ञात न हो कि शोध के क्षेत्र में कितना कार्य हो चुका है, किस प्रकार से कार्य किया गया है तथा उसके क्या परिणाम निकले हैं, तब तक हम न तो समस्या का निर्धारण कर सकते है और नं ही उसकी रूपरेखा तैयार कर, कार्य को सम्पन्न कर सकते हैं। अतः शोध कार्य की सलफता के लिए सम्बन्धित साहित्य का अवलोकन अपरिहार्य है।