अनादि काल से परिवार को समाज की आधारभूत इकाई माना जाता रहा है। मानव समाज के लिए परिवार न केवल आवश्यक है, अपितु एक सुरक्षित एवं आदर्श संस्था भी है, क्योंकि यह समाज की निरंतरता को बनाये रखने का एक प्रमुख माध्यम है। एक सर्वव्यापी संस्था के रूप में अतीत में परिवार ने इतने महत्त्वपूर्ण कार्य किये है कि इन्हीं कार्यों के कारण परिवार को ‘‘सामाजिक जीवन का मौलिक प्रतिनिधि’’ माना जाता है। आज इन्हीं कार्यो में परिवत्र्तन उत्पन्न हो गये है। भोजन, आवास और यौन संतुष्टि जैसे मौलिक कार्य आज के आधुनिक परिवार भी करते है, लेकिन इन कार्यो को करने की विधियों एवं इनसे संबंधित मूल्यों में परिवत्र्तन हो रहे है।