वर्तमान नगरीय समस्याओं की उत्पत्ति में दो मूल कारक नगरीय जनसंख्या में लगातार वृद्धि तथा बढ़ता शहरीकरण प्रमुख है। मानवीय दखल प्राकृतिक संसाधनों पर परोक्ष या अपरोक्ष रूप से प्रभाव डालता है। जन्म दर में वृद्धि और शहरी आकर्षण नगरों के विस्तार को प्रोत्साहित करते है जिसका परिणाम नगरों की जनसंख्या में लगातार वृद्धि का होना है। जब नगरों पर जनसंख्या का दबाव पड़ता है तो जनसंख्या की आवश्यकता की पूर्ति हेतू प्राकृतिक संसाधन का अति दोहन शुरू हो जाता है। नगर की यही विशेषता शहरीकरण को बढ़ावा देती है और अन्य सम्बंधित मुद्दों को प्रभावित करने के साथ-साथ नगर के भूमि-उपयोग प्रतिरूप पर भी प्रभाव डालती है। अतः इस शोध पत्र में “नगरीय भूमि-उपयोग प्रतिरूप“ के बदलते हुए स्वरूप का अध्ययन किया जाएगा और यथासम्भव सुझाव भी प्रस्तुत किए जाएगें।