साहित्य की प्रमुख गद्य विधाओं में उपन्यास भी एक है। यह साहित्य का प्रमुख अंग है। यह साहित्य का नया अंग ओने के बाद जन साधारण के बीच लोकप्रिय है। उपन्यास में कथा होती है, घटनाएँ होती हैं, कल्पनाएँ, यथार्थ आदि का समावेश होता है। मशीनी युग में, भारतीय जन जीवन के बीच, सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक अनेक समस्याएं अपना मुंह खोले बैठी थी। गाँधीवादी विचारधारा से प्रेरित होकर उपन्यासकार भी समाज की सुधारवादी नीति को अपनाकर सामाजिक समस्याओं को अपनी कलाकृतियों में प्रस्तुत करने लगा। इन समस्याओं में दहेज प्रथा, बाल-विवाह, जमींदारी-प्रथा को प्रस्तुत किया गया। उपन्यासकारों की नजर में इन समस्याओं का सृजन व्यक्ति न होकर समाज है।