स्वयं और दूसरों के बारे में जानने और समझने की जिज्ञासा प्रत्येक मनुष्य की सर्वोच्च विशेषता होती है। प्रत्येक मनुष्य अपने आस-पास के वातावरण में उपस्थित वस्तुओं, व्यक्तियों, परिस्थितियों के बारे में जानने और समझने का प्रयास करता है। मनोविज्ञान इन्हीं मानवीय जिज्ञासाओं के बारे में अध्ययन करता है। मनोविज्ञान के अध्ययन का इतिहास उतना ही पुराना है जितना प्राचीन मानव इतिहास है। किन्तु अनेक विद्वान यह मानते और कहते हैं कि मनोविज्ञान एक नवविकसित विज्ञान है। वास्तव में मनोविज्ञान का अतीत तो बहुत पुराना है, लेकिन एक विज्ञान के रूप में इसका उदय हाल ही में हुआ है इसलिए ज्ञान-विज्ञान की दुनिया में यह एक युवा विज्ञान के रूप में जाना जाता है। साहित्य, कला, शिक्षा, व्यवसाय, चिकित्सा, अपराध और कानून, बाल जीवन, किशोरावस्था तथा मनुष्य के सभी वैयक्तिक एवं सामाजिक पक्षों के संबंध में जानने या समझने में मनोविज्ञान का महत्वपूर्ण योगदान है।जिस प्रकार भौतिक पदार्थों, भौतिक परिवेश आदि के संबंध में मनुष्य की उत्सुकता के कारण जहाँ भौतिक विज्ञानों का जन्म हुआ या जीव-जन्तुओं के विषय में जानने की जिज्ञासा से जीव विज्ञानों का आविष्कार हुआ, ठीक उसी प्रकार अत्यन्त प्राचीन समय से ही मनुष्य में स्वयं के विषय में जानने की उत्सुकता या जिज्ञासा ने मनोविज्ञान को जन्म दिया।