सभी संस्थानों की सफलता उनकी प्रबंधकीय व्यवस्था निर्भर करती है प्रबंध से तात्पर्य है उन संगठित व्यवस्थित तथा कमबद्ध क्रियाओं से है जिनके द्वारा भौतिक तथा मानवीय संसाधनों का उचित नियोजन संगठन समन्वय तथा नियंत्रण इस ढंग से किया जाय कि उद्देश्यों की प्राप्ति सर्वोत्तम रूप से सभ्भव हो सके प्रबंधकीय व्यवस्था बिना वित्त के अधूरी होती है किसी भी व्यवसाय की सफलता के वित्त की पर्याप्त पूर्ति तथा वित्त के प्रभावपूर्ण प्रबन्धन पर निर्भर करती है वित्त के आभाव में अच्छी से अच्छी योजना से केवल कागजों पर ही लिखी रह जाती है वह क्रियान्वित नहीं हो पाती। इन प्रबन्ध के आधार पर किसी भी संचार में आय अर्थात् धन को स्त्रोत अलग-अलग होते हैं। एन.जी.ओ. के प्रबन्धन के आधार पर जिन संस्थाओं को सरकार द्वारा आय पर ही अपने वित्तीय संसाधनों की व्यवस्था करते है।