‘‘मुगलकालीन भारत में देश की अधिकतर जनसंख्या गांवों में रहती थी। नगरों या कस्बों में रहने वालों की संख्या अपेक्षाकृत रूप से बहुत कम थी परन्तु कम जनसंख्या होते हुए भी नगरों का उस समय के जन-जीवन तथा इतिहास में बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखता था। मुगलकाल में नगर व्यापारिक और सामरिक रूप से बहुत समृद्ध थे जिसके कारण यहा यातायात व संचार के मुख्य केन्द्र थे। हस्तशिल्प और उद्योगों के केन्द्र होने के कारण अनेक भारतीय नगरों ने यहाँ निर्मित वस्तुओं की विशिष्टता और गुणवत्ता के कारण विदेशों में भी प्रसिद्धि प्राप्त कर ली थी । बन्दरगाहों पर अनेक व्यापारिक नगरों का उदय हुआ सबसे महत्वपूर्ण बात ये थी की नगर राजनीति प्रशासन के केन्द्र बिन्दु बन गए थे।मुगलकाल के कई नगर धार्मिक और सांस्कृतिक और शिक्षा कारणों से बहुत विकास किया । इनमें से कई सूफी संतो के निवास व दरगाह तथा हिन्दू तीर्थ स्थानों के कारण तीर्थ यात्रियों के केन्द्र बिन्दु बने रहे। मुगलकाल के नगर विशाल क्षेत्रफल और जनसंख्या वाले थे।