दर्शन शब्द ’दृशि’ दर्शने धातु से बना है। जिसका अर्थ है आलोक दर्शन मनीषियों के द्वारा अनुभव किए गए सत्य का परिचय देने वाला साहित्य है विभिन्न विद्वानों ने तपस्या एवं स्वाध्याय के बलपर अध्यात्म तत्व का विशेष चिन्तन कर प्रकृति के रहस्यों का उद्घाटन किया तथा अपने जीवन को भी उन तत्वों के अनुशीलन के द्वारा पूर्णत्व की कोटि पर पहुँचाया। यद्यपि अति प्राचीन समय में श्रृंखलाबद्ध दार्शनिक विचारधार प्रचलित न थी किन्तु दार्शनिक चिंता का वैशिस्टय अति प्राचीन काल से ही था जिसका पता हमे बौद्धों के पालि साहित्य जैनो के प्राकृत साहित्य, उपनिषद और महाभारत के शांति पर्व आदि से लग जाता है, अति प्राचीन काल से ही उपनिषदों में वर्णित आत्मा वा अरे द्रष्टव्य अर्थात् आत्मा ही दर्शन व साक्षात्कार का विषय है यह सिद्धांत सर्वत्र मान्य है।