प्रस्तुत लेख में हरियाणा में घटने वाली असहयोग आन्दोलन की गतिविधियों का लेखा-जोखा प्रस्तुत किया गया है। जब 1915 में गांधी जी दक्षिण अफ्रीका से भारत वापिस लौटे तो उस समय प्रथम विश्व युद्ध चल रहा था। युद्ध के दौरान गांधी के आह्वान पर भारत की जनता ने ब्रिटिश सरकार का बढ़-चढ़ कर सहयोग किया। गांधी जी का मानना था कि युद्ध के पश्चात् सरकार भारत को स्वशासन प्रदान करेगी। लेकिन सरकार ने स्वशासन के बदले भारत को ‘रोलट एक्ट’ नामक कानून दिया। जिसके अन्तर्गत शक के आधार पर किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार किया जा सकता था। इससे ना केवल गांधी जी में बल्कि पूरी भारतीय जनता में सरकार के विरूद्ध रोष उत्पन्न हुआ। जिसके परिणामस्वरूप गांधी जी ने असहयोग आन्दोलन चलाने का निर्णय लिया। इसी के साथ 1 अगस्त, 1920 को असहयोग आन्दोलन शुरू हो गया। जब असहयोग आन्दोलन शुरू हुआ तो हरियाणा प्रदेश में भी इस आन्दोलन का प्रभाव नजर जाता है। आन्दोलन शुरू होते ही गांधी जी के आह्वान पर रचनात्मक कार्यों के माध्यम से सरकार का विरोध किया गया। जैसे सरकार द्वारा दी गई उपाधियों का त्याग करें, वकील सरकारी न्यायालयों का बहिष्कार करेंगे, विद्यार्थी सरकारी स्कूलों व कॉलेजों का बहिष्कार करेंगे, विदेशी माल का बहिष्कार किया जाऐगा आदि। हरियाणा प्रदेश के जिलों में जैसे रोहतक, गुड़गाँव, अम्बाला, हिसार में पंडित श्रीराम शर्मा, मुरलीधर, लाला लाजपत राय, श्री राम शर्मा, लाला हुक्मचन्द आदि के द्वारा सरकार का विरोध किया गया तथा गिरफ्तारियाँ दी। लेकिन जब हरियाणा में असहयोग आन्दोलन अपने चरम पर था। उसी समय 5 फरवरी, 1922 को चैरा-चैरी नामक स्थान पर हिंसात्मक घटना घटी। जिससे गांधी जी काफी आहत हुऐ और उन्होंने असहयोग आन्दोलन वापिस ले लिया तथा 12 फरवरी, 1922 क ...